नई पुस्तकें >> अधूरी आशिक़ी अधूरी आशिक़ीनीरज कुमार त्रिपाठी
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व्यंग्य के लिए किसी विषय की आवश्यकता नहीं है यह तो बस आपके इर्द–गिर्द ही व्याप्त है। आज के भागते माहौल में अपनी बातों को छोटे शब्दों में प्रस्तुत करने की चेष्टा की है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
व्यंग्य के लिए किसी विषय की आवश्यकता नहीं है यह तो बस आपके इर्द–गिर्द ही व्याप्त है। आज के भागते माहौल में अपनी बातों को छोटे शब्दों में प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। आज व्यक्ति के पास समय की सबसे अधिक कमी है। इसलिए मेरा यह प्रयास है कि अपनी बातों को छोटे आकार में प्रस्तुत करूँ। सरल भाषा अर्थात् आम बोलचाल की भाषा में ही साहित्य को लिखा है। इस प्रयास की सराहना की अपेक्षाओं के साथ।